शैल्बी हॉस्पिटल में कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी वर्कशॉप: विशेषज्ञों ने दिया प्रशिक्षण

 ह्रदय हमारे शरीर के सबसे जटिल अंगों में से एक माना जाता है, जितना क्लिष्ट इसकी कार्यप्रणाली है उतनी ही क्लिष्ट इसका निदान एवं उपचार। ह्रदय रोगों के निदान के लिए कई तरह की उपचार विधियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए मध्यभारत में अपने बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा और तकनीक के लिए प्रसिद्ध इंदौर के शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल इंदौर में हाल ही में दो दिवसीय कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जहाँ शैल्बी इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियक साइंस के डायरेक्टर डॉक्टर सिद्धांत जैन, इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ शिरीष अग्रवाल द्वारा पूरे प्रदेश से आए कई जनरल फिजिशियन को कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी का प्रशिक्षण दिया और इसकी मदद से हार्ट के मरीजों के उन्नत इलाज की जानकारी दी। शैल्बी हॉस्पिटल के शैल्बी कैथलैब में 19 और 20 अप्रैल 2024 को आयोजित इस वर्कशॉप में डॉक्टर्स एवं प्रैक्टिसनर्स को लेक्चर्स एवं लाइव डेमो के माध्यम से कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी की बारीकियां सिखाई। वहीँ लाइव डेमो देकर प्रशिक्षुओं को एंजियोप्लास्टी की जटिल तकनीक से रूबरू कराया गया एवं सेशन के बाद जिज्ञासुओं के प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया गया।




कॉम्प्लेक्स एंजियोप्लास्टी वर्कशॉप के बारे शैल्बी हॉस्पिटल कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉक्टर सिद्धांत जैन ने बताया, “एंजियोप्लास्टी सर्जिकल प्रक्रिया है, इसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी ऑर्टरीज भी कहते हैं। दिल का दौरा या स्ट्रोक के बाद इलाज के लिए डॉक्टर एंजियोप्लास्टी का ही सहारा लेते हैं। हार्ट अटैक आने पर कोरोनरी धमनी संकुचित या ब्लॉक हो जाती है। मतलब हृदय की मांसपेशियों तक खून की सप्लाई घट जाती है और पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसी से सीने में दर्द या हार्ट अटैक आता है। विज्ञान नित नई मेडिकल तकनीकों का अविष्कार कर रहा है, इसको जानने की आवश्यकता जितनी मरीजों को है उतनी ही डॉक्टर को भी है। यदि डॉक्टर प्रशिक्षित रहेंगे तो मरीजों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा इसी उद्देश्य से यह वर्कशॉप आयोजित की गई थी।”

एंजियोप्लास्टी, रोटाब्लेशन और आईवीएल के बारे में शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ शिरीष अग्रवाल ने बताया, “एंजियोप्लास्टी में खासतौर पर उन मरीजों को जिनके दिल की नसों में बहुत ही जटिल कैल्शियम वाले ब्लॉकेज बैन हो गए थे और जिनको बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई थी उन मरीजों का बिना बाईपास के उन्नत तरीकों से एंजियोप्लास्टी और स्टेंट द्वार उपचार किया गया। कैल्शियम वाले ब्लॉकेज को खोलने के लिए जटिल तकनीक अपनाई गई जिसे रोटाब्लेशन कहा जाता है। इस विधि में डायमंड की एक ड्रिल को काफी हाई स्पीड पर आर्टरी में चला कर कैल्शियम को महीन हिस्सों में घिस दिया जाता है और एंजियोप्लास्टी को सहज बनाया जाता है। एक अन्य अत्याधुनिक तकनीक से भी मरीजों का उपचार किया गया जिसे आईवीएल या इंट्रा वैस्कुलर लिथोट्रिप्सी कहा जाता है, इसमें दिल की धमनियों के अंदर एक यंत्र द्वारा ध्वनि तरंगों का उपयोग कर कैल्शियम को तोड़ा जाता है ताकि स्टेंट को अच्छे से फुलाया जा सके।”

शैल्बी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स के सीओओ डॉ अनुरेश जैन एवं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ विवेक जोशी ने बताया, “इस वर्कशॉप में इंदौर एवं प्रदेश के अन्य शहरों से 10 से अधिक डॉक्टर्स मौजूद रहे। एंजियोप्लास्टी से मरीज की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है यह उपचार यदि समय पर मिल जाए तो मरीज की न सिर्फ जान बचाई जा सकती है बल्कि वह एक सामान्य जीवन जी सकता है। वर्कशॉप में मिली आधुनिक तकनीक की जानकारी का इस्तेमाल मरीजों के बेहतर इलाज में हो सकेगा। शैल्बी हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे हार्ट से जुड़ी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का इलाज उपलब्ध है। जहां पिछले कई वर्षों से आधुनिक तकनीक से इलाज किया जा रहा है। शैल्बी हॉस्पिटल्स, इंदौर में एडवांस एन्जियोप्लास्टी की तकनीक जैसे रोटा एब्लेशन, IVUS, FFR एवं एडवांस हार्ट सर्जरी MICS, EVH जैसी सर्जरी विगत कई वर्षों से सफलतापूर्वक की जा रही है।

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